🚩सिरे मंदिर‌ जालोर के सिरमौर पीरजी श्री1008श्री शांतिनाथ जी महाराज की कृपा दृष्टि हमेशा सब पर बनी रहे सा।🚩🌹जय श्री नाथजी महाराज री हुक्म🌹🚩🙏🙏">

25 . चिड़ियानाथजी

25 . चिड़ियानाथजी : सुकवि सबळदान लाळस ( नाथ - भक्त सबळा लाळस ) ने अपनी ‘ निसांणी ' में लिखा है कि श्रीजलंधरनाथ ने केइक दिन तपस्या करे झरणा जळ नीझर । । निर्भय चिड़ियानाथ ने कीधो कालींजर । । आज जिस पर्वत पर जोधपुर का मेहरानगढ़ दुर्ग खड़ा है , वहाँ पर झरने के निकट श्री चिड़ियानाथ नाथ - भक्ति में लीन थे - ‘  ' राव जोधा ने सर्वप्रथम ‘ चौबरजो जीवरखो कोट करायौ . चिड़िया - टॅक ऊपर । इस निर्माण के समय राव जोधा के आदमियों ने इन्हें वहाँ से हटने को कहा । इस पर क्रोधित हो , चिड़ियानाथजी अपनी झोली में धूनी के अंगारे डालकर रवाना हो गये । इससे संबंधित डॉ . नारायणसिंह भाटी की टिप्पणी है कि इस चमत्कार से प्रभावित हो , लोगों ने उन्हें वहीं रुकने की प्रार्थना की , पर वे नहीं माने और सालावास जाकर रुके । जनता ने वहीं धूनी लगवाई और राज्य की ओर से कुछ भूमि अर्पित की गई । । | सत्य यह है कि ये कुछ समय के लिये सालावास रुके होंगे , परन्तु इनकी धूनी तो फिर पालासणी ( जिला जोधपुर ) में ही प्रतिष्ठित हुई । पालासणी के पीर अभी तक जोधपुर दुर्ग में झरने के पास स्थापित श्री चिड़ियानाथ के चरणों की पूजा करते हैं । | श्रीजलंधरनाथ ने चिड़ियानाथ को कालीजर में निर्भय बनाकर तपस्यारत रखा । - ऐसा उल्लेख इस प्रसंग में ऊपर आया है । तत्समय के सोजत परगने ( अब जिला पाली ) में यह कालीझर गाँव था ।

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