🚩सिरे मंदिर‌ जालोर के सिरमौर पीरजी श्री1008श्री शांतिनाथ जी महाराज की कृपा दृष्टि हमेशा सब पर बनी रहे सा।🚩🌹जय श्री नाथजी महाराज री हुक्म🌹🚩🙏🙏">

32 . काना चारण

32 . काना चारण : कलशाचल - स्वामी श्रीजलंधरनाथ के भक्त काना चारण के विषय में सेवग दौलतराम कहता है चारण जात चकौर , रहै धर फेर रुहाड़े । । जेण भजन जलंधरी , सदा कर दीह सवाई । । पूज़ पंथ श्रीपाव , करी मन वचन काया । । उणरी कीऔ उधार , करी तिण अवचळ काया । । परताप भजन सेवा पगां , लख चरणांमत नित लियो । वाधारवांन श्रीनाथ वड , कांन अमर चारण कियौ । । 256 । । काना ( कानो ) का परिचय देते हुए डॉ . मोहनलाल जिज्ञासु लिखते हैं कि ' ये । रतन शाखा में उत्पन्न हुए थे और मारवाड़ राज्यान्तर्गत विणलियो ग्राम के निवासी थे । इनके पिता का नाम करमसी था । महाराजा अजीतसिंह ( 1678 - 1724 ई . ) इनके सगकालीन थे । अपने भाईयों के साथ खेत विषयक झगड़ा हो जाने से एक बार इन्होंने अजीतसिंह को निसाणी छंद में प्रार्थना - पत्र प्रेषित किया , जो तीन पृष्ठों या । इससे जब इनकी कोई सुनवाई नहीं हुई , तब इन्होंने अपने विरोधी गणपत गाली से मार दिया । इस अपराध में इनका गाँव जब्त कर दिया गया । खेजड़ले । क ठाकुर भाटी नाहरसिंह ने इनका पक्ष लेकर यह गाँव पुनः दिलाया था ।

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