श्री जलन्धरनाथजी पीठ सिरेमंदिर के वर्तमान पीठाधीश श्री श्री 1008 श्री गंगानाथजी महाराज
श्री श्री 1008 पीरजी श्री शान्तिनाथजी महाराज के ब्रह्मलीन होने के पश्चात् वि.स. 2069 अश्विन शुक्ल पक्ष 3 ने 18 अक्टूबर 2012 गुरुवार के शुभ दिन, शुभ मुहूर्त में आप इस पीठ पर विधिवत् आसीन हुए ।
आप अपने गुरु महाराज श्री श्री 1008 पीरजी श्री शान्तिनाथजी महाराज के कर्तव्य व् निष्ठावान शिष्य है, आप गुरु महाराज के चरणों मे आते ही शुरुआत से ही गुरु महाराज की सेवा में लग गए थे, तथा गुरु महाराज के कार्य में सहयोग करने लगे थे, धीरे धीरे आपने सिरेमंदिर व् अखाड़े का पूरा कार्य भार संभाल लिया था, और तन मन धन से सेवा करने लगे ।
फलतः गुरुदेव श्री पीरजी महाराज ने आपके काम काज और सेवा को देखकर वर्ष 20 सितम्बर 2010 को आपके नाम की वसीयत बनाई, की उनके बाद में इस पीठ के पिठाधीश श्री गंगानाथजी महाराज होंगें ।
आपका जन्म वि.स. 2016 के मार्गशीर्ष को रानीवाड़ा जिला जालौर के दातवाडा गाँव में हुआ, आपका संसारी नाम कालूराम देवासी था, तथा पिताजी का नाम नगारामजी देवासी व् माता का नाम रकमा देवी है ।
श्री श्री 1008 पीरजी श्री शान्तिनाथजी महाराज ने उनके प्रथम चातुर्मास के समय वि.स. 2038 श्रावण माह में 21 वर्ष की अल्प आयु में आपको दीक्षा देकर अपनाया था ।
श्री गंगानाथजी महाराज बचपन में अपनेे माता- पिता के साथ पीरजी श्री शान्तिनाथजी महाराज के दर्शन करने के लिए सिरेमंदिर और श्री भैरुनाथजी के अखाड़े आते थे, यही पर आपको वैराग्य के पथ पर चलने की प्रेरणा मिली, वैराग्य के पथ पर चलने के पहले आप गाँव में ही अपने पिताजी के साथ खेती में सहयोग करते थे, आपके तीन बहिने और एक छोटा भाई हैं ।
पीरजी श्री शान्तिनाथजी महाराज व् सिरेमंदिर में श्री जलन्धरनाथजी महाराज के प्रति आस्था के कारण आपको आपके माता पिता ने श्री शान्तिनाथजी महाराज के चरणों में समर्पित किया था, दीक्षा लेने के दो वर्ष बाद में आप अपने माता पिता व् परिजनों से भिक्षा लेने अपने गाँव दातवाडा गए थे, आपके ताऊजी की एक बेटी भी सन्यासी है, आपका ननिहाल जैरण गांव में है, सन्यास लेने के पहले आपकी सगाई की हुई थी, लेकिन आपने विवाह से इनकार कर दिया और वैराग्य पथ अपना लिया ।
श्री गंगानाथजी महाराज ने पीठाधीश बनाने के पश्चात् सबसे पहले अपने गुरुदेव श्री पीरजी बावसी के निर्माण कार्यो को सुचारू रूप से आगे बढ़ाया, आपने श्री प्रेम नाथजी महाराज, श्री निर्मलनाथजी महाराज व बड़े गुरुभाई श्री कमलनाथजी महाराज और आपके सभी शिष्यों और सिरेमंदिर के सभी शिष्यों के सहयोग से गुरुदेव श्री श्री ब्रह्मलीन श्री शान्तिनाथजी महाराज का भण्डारा बड़े ही धूम धाम करवाया और श्री जलन्धरनाथजी महाराज के मन्दिर (भँवर गुफा) की प्रतिष्ठा भी बड़े धूम धाम से करवाई, और आपने श्री शान्तिनाथजी महाराज के बड़े शिष्य और आपके गुरु भाई श्री कमलनाथजी महाराज का जीवित भण्डारा भी बड़े ही धूम धाम और उत्साह से करवाया ।
गुरु महाराज पीरजी श्री शान्तिनाथजी महाराज की इच्छा थी कि नाथ सम्प्रदाय के प्रमुख पीठ कदली मठ मैंगलौर पर सिरेमन्दिर से निर्मल नाथजी को राजा बनाया जाये, इसके लिए
श्री गंगानाथजी महाराज ने भरपूर कोशिश की और निर्मल नाथजी महाराज को कदली मठ के राजा बनाने में पूरा सहयोग दिया ।
गुरुदेव श्री शान्तिनाथजी महाराज के ब्रह्मलीन होने पश्चात् निर्माण कार्यो को आगे बढ़ाते हुए आपने सिरेमंदिर पर सभी गुरुओं ( पिठाधिशो ) के समाधियों का पुनः निर्माण करवाया और मंदिर के प्रागण में राजा भर्तृहरी (श्री विचारनाथजी महाराज) तथा राजा गोपिचंद (सिद्धयोगी श्री कणेरीपाव नाथजी) की छत्रीयां बनवाई,
और सिरेमंदिर पर नई भोजनशाला का निर्माण करवाया, तथा और भी कई निर्माण कार्य जोर शोर से चल रहे है ।
चित् हरणी पर श्री भोले नाथजी महाराज का मंदिर और गुरुदेव श्री शान्तिनाथजी महाराज की मूर्ति स्थापित करवाई सिरेमंदिर तलहटी पर पीरजी श्री शान्तिनाथजी महाराज की विशाल छतरी बनवाई और तहलटी पर बाग बगीचे लगाकर तलहटी को सुन्दर बनवाया, श्री भैरुनाथजी का अखाड़ा जालौर में नये द्वार का निर्माण करवाया तथा भव्य मन्दिर का कार्य निर्माण कार्य भी जोरों पर चल रहा है ।
श्री गंगानाथजी महाराज ने भागली गाँव में श्री जलन्धर नाथजी महाराज का पुराना मन्दिर तुड़वा कर गाँव वालों के सहयोग से जलंधरनाथजी महाराज व जागनाथजी का नया भव्य मन्दिर बनवाया, इसके अलावा और भी कई गांवों में मन्दिर बनवा रहे है ।
गुरु महाराज पीरजी श्री शान्तिनाथजी महाराज का शाशन को आप वैसा ही चला रहे है, जैसा गुरु महाराज चला रहे थे, वही तरीका वही फुर्ती ओर वही स्वभाव आप अपने गुरु महाराज के शाशन को बखूबी निभा रहे है ।
गुरु महाराज पीरजी श्री शान्तिनाथजी महाराज के जैसा ही आपका हावभाव, वही चाल और वही तेज है आपमे, सिरेमंदिर पर आने वाले सामाजिक के हर वर्ग के भक्तों के लिए भेदभाव रहित समावेश है, तथा हर आने वाले साधु संतों को समुचित आदर भेट दी जाती है, और हर आने वाले श्रद्धालु के लिए भोजन व्यवस्था है ।
श्री गंगानाथजी महाराज की शिष्य मंडळी :-
श्री परागनाथजी महाराज
श्री ईश्वरनाथजी महाराज
श्री आनन्दनाथजी महाराज
श्री शेर नाथजी महाराज
श्री श्याम नाथजी महाराज
आपके गुरुभाई :-
श्री कमलनाथजी महाराज
श्री धर्मनाथजी महाराज
श्री किशननाथजी महाराज
श्री हरिनाथजी महाराज
संग्रह्कर्ता :-
जोरावत भंवरसिंह भागली
श्री शान्तिनाथजी टाईगर फोर्स संगठन भारत
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