श्री श्री 108 योगिराज श्री ईश्वर नाथजी महाराज सिरेमन्दिर
बाल ब्रह्मचारी योगिराज सिरेमन्दिर गढ़ के उगते सूरज, सिरेमन्दिर के पीठाधीश श्री श्री 1008 श्री गंगा नाथजी महाराज के शिष्य रत्न, दादागुरु जालोरी पीर ब्रह्मलीन सिंह स्वरूपी संत श्री श्री 1008 श्री शान्तिनाथजी महाराज के मन के मीत, श्री ईश्वर नाथजी महाराज का जीवन परिचय :-
श्री ईश्वर नाथजी महाराज का जन्म गाँव सेरणा जिला जालौर राजस्थान में जेतमल राठौड़ परिवार में कार्तिक सूद बीज सोमवार को 10 बजकर 10 मिनिट पर हुआ था, उनके पिता श्री नाम राण सिंह जी और माताजी का नाम सोरम कंवर है, ये कुल चार भाई है, राण सिंह जी के केवल चार पुत्र ही है, प्रकाश सिंह, गुमान सिंह, नरपत सिंह और विशन सिंह ।
नाम :- प्रकाश सिंह जैतमल राठौड़
पिता :- श्री राण सिंह जी जैतमल राठौड़
माताश्री :- सौरम कंवर सिसौदिया
महाराज श्री ईश्वर नाथजी चारों भाइयों में बड़े है, आपका ननिहाल सेरणा गांव में ही भंवर सिंह जी सिसोदिया के घर है ।
राण सिंह जी पहले से ही शिवजी के श्रदालु भक्त थे, एक समय राण सिंह जी अपने कुएँ पर थलाड़ खोद रहे थे, तब वहाँ गोलाकार आकार में उन्हें पांच पत्थर मिले, राण सिंह जी ने उन पत्थरों को भगवान मानकर एक चौकी बनाकर पूजा करने लगे, जिसमे भगवान शिव, पार्वती जी, हनुमान जी, गणेश जी और पीरजी श्री शान्तिनाथजी महाराज प्रमुख थे, जिन्हें वो पूजने लगे, इस समय उनके कुँए पर बना हुआ है, सुबह शाम आरती की जाती है ।
राण सिंह जी ने पुत्र प्राप्ति के लिए पीरजी श्री शान्ति नाथजी महाराज से मन्नत मांगी थी, और कहा की पुत्र होने पर बड़े बेटे को आपकी चरणों में भेंट कर दूँगा, राण सिंह जी मन्नत पूरी हुई, उन्हें चार पुत्र हुए, तब उन्होंने अपने बेटे प्रकाश को नाथजी की चरणों में भेंट करने का निर्णय किया ।
पिता श्री राण सिंह जी को सुबह शाम पूजा करते देख प्रकाश भी बचपन से ही नाथजी की भक्ति में लीन रहने लगे थे, उन्होंने अपने गाँव सेरणा में ही पाँचवीं कक्षा तक पढाई की थी, उन्होंने बीच मे ही पढाई छोड़ी और कुछ महीनों के लिए देसावर भी गये थे, लेकिन उनके दादीसा के मना करने पर वापस देसावर नही भेजा ।
प्रकाश सिंह को ज्येष्ठ सूद पाँचम को सिरेमन्दिर श्री शान्तिनाथजी महाराज के चरणों में भेंट किया था, तब आपकी ऊमर दस वर्ष की थी, उस दिन के बाद से आप नाथजी की भक्ति मे लिन हो गये, और दादा गुरु की सेवा में लग गए, तथा साथ साथ में आपको आगे की पढाई के लिए दादा गुरु श्री शान्तिनाथजी महाराज ने विद्या भारती स्कुल जालौर भेजकर 10 वीं तक की पढाई पूरी करवाई ।
आप गुरुजी श्री शान्ति नाथजी महाराज की तन मन से सेवा करने लगे,
एक दिन श्री शांतिनाथजी महाराज ने अपने शिष्य गंगा नाथजी महाराज से
कान फुकवा कर आपको उनका शिष्य बना कर श्री शान्तिनाथजी महाराज दादा गुरु बन गये, और आपका नाम ईश्वरनाथ रख दिया, कई वर्षो के बाद कानो कुण्डल आपको इस वर्ष सन् 2017 में ही धारण करवाकर, पूर्ण नाथ बना कर ईश्वर नाथजी महाराज कहलाये, आपकी की कुटंब यात्रा अभी तक नही हुई है ।
स्थान :-
श्री जलन्धरनाथपीठ सिरेमन्दिर जालौर
दादा गुरु :- श्री श्री 1008 श्री शान्तिनाथजी महाराज
गुरु :- श्री श्री 1008 श्री गंगा नाथजी महाराज
गुरु भाई :- श्री श्री 108 श्री प्राग नाथजी महाराज
श्री श्री 108 श्री श्याम नाथजी महाराज
श्री श्री 108 श्री आनंद नाथजी महाराज
श्री श्री 108 श्री शेर नाथजी महाराज
ईश्वर नाथजी महाराज का तप, योग और कार्य शैली में दादा गुरु शान्तिनाथजी नजर आते है, उनके जैसी ही फुर्ती में हमेशा रहते है, ईश्वर नाथजी महाराज के हाथों में हमेशा किसी न किसी रूप में लठ् देखने को मिलता है, इसलिए लोग उन्हें लठठ्धारी योगी भी कहते है ।
लेखक :- भंवरसिंह जोरावत भागली
श्री शान्तिनाथजी टाईगर फोर्स संगठन भारत
नोटः किसी भक्त को ईश्वर नाथजी महाराज की जन्मतिथि ओर सिरेमन्दिर भेट की तारीख की जानकारी हो तो अवगत करावे
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