पिरजी श्री शान्तिनाथजी महाराज की महिमा, परम् पूज्य श्री शंकरस्वरूपजी ब्रह्मचारीजी महाराज के श्री मुख से_
श्री शान्तिनाथजी महाराज जलंधरनाथजी के अवतार थे, उनके बारे में जितना कहा जाए उतना कम है, वे विश्व मे एक प्रकाशवान दीपक के समान थे, जिनकी ज्योति अदृश्य हो गई है, इस कमी को पूरा करना अब संभव नही है, सभी जातियों में, समाजो में, साधुओं एवं गृहस्थों में सर्वत्र आपकी कमी महसूस होती है, इसकी पूर्ति अब संभव नही है, उनके मन मे सभी के लिए समान दया का भाव था, उनके लिए सभी समान थे और सभी को साथ लेकर चलते थे ।
शंकरस्वरूपजी ब्रह्मचारीजी बातें करते करते भावुक हो उठे, उनकी आँखों से अश्रुधारा प्रवाहित होने लगी, पिरजी महाराज के बारे में क्या कहूं, शान्तिनाथजी महाराज थे ही बहुत बढ़िया, उनका प्रेम गहरा था, महाराज सबके लिए सुलभ थे, शरीर मे इतना कष्ट होते हुए भी कभी किसी को मना नही किया कि में नही चलूँगा, वे अत्यंत दयालु व सज्जन प्राणी थे, में क्या क्या कहूं ? कोई शब्द नही है, वे उपमा रहित थे, उनकी तुलना उनसे ही हो सकती है, राम जैसा और कोई नही, वैसे ही नाथजी उपमा रहित थे, उनकी तुलना उनसे ही हो सकती है, वर्तमान समय मे ऐसा साधु होना असंभव है ।
पिरजी का पर्चा ( समत्कार ) :-
पूज्य शंकरस्वरूपजी ब्रह्मचारीजी ने पिरजी महाराज के समत्कार के बारे में बताया, परम् पूज्य श्री श्री 1008 श्री शान्तिनाथजी महाराज द्वारा विक्रम सवंत 2035, 10 अप्रेल से 17 अप्रेल 1978 में सिरेमन्दिर में महारुद्र यज्ञ एवं भगवान रत्नेश्वर महादेव मंदिर पर कलश स्थापना का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा था, यज्ञ आरम्भ हुए तीसरा दिन था ।
में ( शंकरस्वरूपजी ) और आदरणीय पिरजी श्री शान्तिनाथजी बावसी आपस मे एक विषय पर चर्चा कर रहे थे, कि कुछ कार्यकर्ता वहां आये ओर महाराज जी से कहा हुकम ! बाव में पानी खत्म हो गया है, अब पानी की व्यवस्था कैसे करे ? महाराज ने मेरी तरफ देखा और कहा लो बाबा ने बोलो ? ( अर्थात भगवान से कहो ) मैंने कहां आप स्वयं सामर्थ्यवान है, आप ही कहो बाबा को, इतने में महाराज श्री वहाँ से चंदन कूप के पास पधारे और एक बाल्टी जल भरवाकर उस जल को चंदन कूप में डाल दिया, इधर पानी कुँए में डाला उधर बावड़ी और चंदन कूप में एकाएक आवक हुई व धीरे धीरे दोनों पानी से पूरे भर गए ।
यह कार्यक्रम 8-10 दिनों तक चला लेकिन पूरे कार्यक्रम चलने तक पानी की कमी नही हुई और आगे भी अब तक पानी की कमी नही हुई है, इससे बड़ा समत्कार और क्या होगा, महाराज श्री ने ऐसे अनेक चमत्कार किए परन्तु स्वयं बहुत सहज, सरल, व्यक्त्वि के धनी थे, और पूछने पर केवल मुस्करा देते थे ।
आदरणीय श्री 1008 श्री शान्तिनाथजी महाराज के बारे में मैं बस यही कहूँगा कि आपके बारे में जितना कहा जाए उतना कम होगा, महाराज जी ने भक्तो व जनमानस के लिए बहुत कुछ किया, जगह जगह मन्दिरो का जीर्णोद्वार करवाया, उन मन्दिरो की व्यवस्था को सुचारू करवाने के कार्य भी आप द्वारा करवाया गया, समाज मे नशे पते की लत में फंसे लोगों को सही दिशा दिखाकर व्यसन से मुक्त करवाने व भक्ति के मार्ग चलने जैसे अनेक महत्वपूर्ण कार्य समाज हित मे महाराज श्री द्वारा किये गए ।
वास्तव में महाराज जी बहुत महान विभूति थे, वे सभी भक्त भाग्यशाली है, जिन्होंने उनके दर्शन किए, आज भले महाराज श्री का शरीर हमारे मध्य नही है, किन्तु सूक्ष्मरूप से सदैव हमारा कल्याण करते रहे यही हमारी प्रार्थना है ।
आभार सबके नाथजी स्रोत
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संग्रहकर्ता :-
जोरावत भंवरसिंह भागली
श्री शान्तिनाथजी टाईगर फोर्स संगठन भारत
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