🚩सिरे मंदिर‌ जालोर के सिरमौर पीरजी श्री1008श्री शांतिनाथ जी महाराज की कृपा दृष्टि हमेशा सब पर बनी रहे सा।🚩🌹जय श्री नाथजी महाराज री हुक्म🌹🚩🙏🙏">

भैरू नाथजी महाराज का अखाडा जालौर

भैरू नाथजी महाराज का अखाडा जालौर

जालौर नगर के तिलक द्वार में प्रवेश करते ही सामने की गली में रामदेवजी का मंदिर आता है, उससे थोडा आगे चलते ही एक चौक आता है, जहाँ श्री 1008 श्री भैरू नाथजी महाराज का अखाडा स्थित है ।

नाथ सम्प्रदाय में अखाडा उसे कहते है, जहाँ सन्तजन निवास करते है, जालौर नगर में इस अखाड़े की स्थापना का श्रेय परम् पूजनीय गुरु देव श्री श्री 1008 श्री भैरू नाथजी महाराज को जाता है, जो इन्हीं के नाम से जाना जाता है, भेरुनाथजी महाराज  ने उस समय जालौर के हाकिम श्री अचलदास जी से कहकर रेबारियों के मौहल्ले में जमीन खरीदकर यहाँ अखाडा स्थापित किया था ।

अखाड़े की स्थापना के पीछे सबसे बड़ा उद्देशय यहाँ आने वाले श्रद्धालुओ के ठहरने की व्यवस्था करना एवं सिरेमन्दिर तक सामन भेजने हेतु कोठार की स्थापना करना था, क्योंकि सिरेमन्दिर तक सामान व अन्य सामग्री को मार्ग दुर्गम व् दूर होने के कारण पहुचना कठिन था, यात्री भी जो बाहर से आते वे रात्री को यहाँ ठहर सके व भोजन पानी कर आराम कर सके, जमीन लेकर महाराज श्री ने प्रथम यहाँ पर कच्चे पडवे बनाकर नाथजी का धूंणा स्थापित किया और अन्न क्षेत्र का शुभारम्भ किया ।

श्री भेरुनाथजी महाराज के देवलोक गमन बाद श्री 1008 श्री फुलनाथजी महाराज पीठासीन हुए, श्री फुलनाथजी महाराज ने भी यात्रियों के आवागमन की अधिकता को देखते हुए अखाड़े में रसोईघर बनवाया व यात्रियों के ठहरने हेतु कच्चे मकानों का निर्माण करवाया, जलाऊ लकड़ियों के रखने हेतु महाराज श्री ने अखाड़े के सामने एक नोहरा भी ख़रीदा जिसमें आज भी लकड़ियां व गायों हेतु चारा रखा जाता है ।

श्री फुलनाथजी महाराज के बाद श्री पूर्णनाथजी महाराज ने अखाड़े का कार्य संभाला व् श्री दादा गुरुओं द्वारा संचालित कार्यो को आगे बढ़िया, श्री पूर्णनाथजी महाराज के देवलोक गमन बाद उनके शिष्य श्री केशर नाथजी महाराज नाथ गादी पर बिराजे ।

श्री श्री 1008 श्री केशर नाथजी महाराज ने विक्रम सवंत 2012 में श्री भैरू नाथजी के अखाड़े में एक बड़ा कमरा बनवाया तथा अखण्ड धूणा स्थापित किया, महाराज श्री केशर नाथजी तपस्या हेतु सिरेमन्दिर व् चित हरणी पधारते तब आपके शिष्य श्री 1008 श्री भोले नाथजी महाराज अखाड़े की देखभाल करते थे, आपने वि. स. 2021में शिव मंदिर के निर्माण का शुभारम्भ किया, मंदिर के पूर्ण होने पर सवंत 2021 माघ सुदी पंचमी के दिन शुभ मुहर्त में आपके तत्वाधान में श्री जलन्धरनाथजी की मूर्ति को भव्य प्रतिष्ठा महोत्सव कर स्थापित किया ।

श्री 1008 श्री भोले नाथजी महाराज के ब्रह्मलीन होने के पश्चात विक्रम सवंत 2025 की कार्तिक शुक्ल सप्तमी सोमवार के दिन शुभ मुहर्त में पूज्य श्री 1008 पीरजी श्री शान्तिनाथजी महाराज सिरेमन्दिर पर पीठासीन हुए तथा अखाड़े का कार्यभाल संभाला, आपने अखाड़े में नवनिर्माण का कार्य तीव्र गति से आरम्भ करवाया ।

अखाड़े में गौशाला बनवाई, जिससे गौ दूध की आपूर्ति होने लगी, अखाड़े के पीछे आधुनिक सुख-सुविधायुक्त विशाल धर्मशाला श्री जलन्धरनाथजी महाराज के नाम से बनवाई, जिसमे अपने बड़े गुरु भाई श्री 1008 श्री भोलेनाथजी महाराज का सुन्दर छोटा मंदिर बनवाकर उनकी मूर्ति की स्थापना भव्य समारोह करके की जिसमे पुरे भारतवर्ष के महान संतो का आगमन हुआ था ।

धर्मशाला में संतो द्वारा कथा-प्रवचन का कार्य चलता रहता है, यात्रियों के ठहरने हेतु कमरे आधुनिक सुखसुविधाओ से युक्त है, आज जो सुन्दरता लिये हुए अखाड़े का स्वरूप हमे दिखाई देता है, वह श्री श्री 1008 पीरजी श्री शान्तिनाथजी महाराज की ही देन है, ऐसे संत विरले ही होते है, जो अपने दादा गुरुओं के सपनों को साकार करते है ।

श्री श्री 1008 पीरजी श्री शान्तिनाथजी महाराज के देवलोक गमन पश्चात् श्री 1008 श्री गंगा नाथजी महाराज वर्तमान पीठाधीश है, आप भी अपने गुरूजी द्वारा किये जा रहे कार्यो को बहुत ही तीव्रगति से आगे बढ़ा रहे है, आपके हाथों अभी श्री भैरू नाथजी महाराज के अखाड़े में श्री जलन्धरनाथजी महाराज के मन्दिर का पुनः निर्माण किया गया है, जिसकी प्रतिष्ठा हाल ही सम्पन हुई, अखाड़े की पुरानी पोळ को हटवा कर एक नई विशाल पोळ का निर्माण भी हाल में किया गया है, इसके आलावा भी नये निर्माण कार्य किये गए है ।
           ~  सबके नाथजी स्रोत ~
संग्रहकर्ता :-
जोरावत भंवरसिंह भागली
श्री शान्तिनाथजी टाईगर फोर्स भारत

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