योगी श्री अमर नाथजी महाराज की अमृत लीला
श्री श्री 1008 श्री केशर नाथजी महाराज के शिष्य श्री अमर नाथजी की आज पुण्यतिथि है, योगी अमर नाथजी महाराज ने आज ही के दिन रेवत गांव में समाधि ली थी, समाधि लेने के बाद आज के दिन उन्होंने अपने भक्त को परचा दिया था, इस उपलक्ष में आज रेवत गांव में विशाल मेला लगता है ।
श्री श्री 1008 श्री केशर नाथजी महाराज के तीन शिष्य थे, श्री अमर नाथजी महाराज, श्री भोला नाथजी महाराज और पिरजी श्री शान्तिनाथजी महाराज जिनमे श्री अमर नाथजी बड़े शिष्ये थे, अपने गुरु महाराज के देवलोक गमन के बाद श्री भोला नाथजी महाराज सिरेमन्दिर पीठ के पीठाधीश बने, अमर नाथजी महाराज ने अपने गुरु महाराज से पहले समाधी ले ली थी ।
जीवन परिचय :-
योगी श्री अमर नाथजी महाराज का जन्म मालानी क्षेत्र के एक देवासी परिवार में हुआ था, दस बारह साल की उम्र में ही आप अपने पुश्तेनी धंधे में लग गये और चोपायों को जंगल में चराने लगे, ऐसा करते - करते आपको वैराग्य जागृत हो गया और आपने वि.स. 1998 में सिरेमंदिर आकर योगीराज श्री कैशर नाथजी महाराज से उपदेश लिया और उनके शिष्य बन गए ।
ततपश्चात आपने अपने गुरु के आदेशानुसार योग-मार्ग अपनाया और अनवरत अभ्यास से उसमे निपुणता प्राप्त कर ली, श्री जलन्धर नाथजी के प्रति भक्ति- भाव तो आपके ह्रदय में कूट - कूटकर भरे थे ही अतः आप पूर्ण निष्ठा के साथ नाथ- धर्म के प्रचार - प्रसार में जुट गये ।
आप स. 2006 में वासण देवडो का ) जिला सिरोही स्थित श्री वैजनाथ मंदिर में पधारें और वहाँ तीन वर्ष तक रूककर घोर तपस्या की, जहाँ आपका धुणा आज भी विद्यमान है, यहीँ पर आपने गांव के कुँए का पानी मीठा किया था ।
फिर आप श्रीहल्देश्वर महादेव जालौर के निकट, के प्राचीन अपूज मंदिर में आ गए और अपना धूणा जमाया और मंदिर का जिर्णोद्वार करवाया, यहाँ रहकर आपने रेवत, भागली, पिजोपरा, तडवा आदि गाँवो की सेवकी को ज्ञानोपदेश देकर नाथ-भक्ति की ओर प्रवर्त किया, वि.स.2012 में आपने हल्देश्वर में चातुमार्स कर अपने भक्तों को ज्ञानोउपदेश दिया ।
श्री हल्देश्वर को सुव्यव्स्थित रूप प्रदान कर आपने फिर रेवत में निवास किया और जलंधरनाथजी महाराज के मंदिर का निर्माण कार्य कराया तथा अपना धूणा स्थापित किया, यहाँ आसन जमाकर अपने गुरुदेव के चरणों का अहर्निश ध्यान धरते हुए आपने नाथ- भक्ति को ख़ूब प्रसरित किया, होनी प्रबल होती है, जो हो कर ही रहती है ।
गुरु महाराज श्री केशर नाथजी महाराज के देवलोक जाने का समय हो गया था, तब एक दिन गुरु महाराज ने आपसे कहां की मेरा तो अब समाधि लेने का समय आ गया है, अब तुम्हें सिरेमन्दिर का कार्यभार संभालना है, तब आपने गुरु महाराज से कहां की में तो आपसे पहले समाधि लेने वाला हूँ, और ऐसा ही हुआ
अपने गुरु के अत्यन्त आज्ञाकारी एवमं मर्यादा- प्रिय शिष्य श्री अमर नाथजी महाराज का अपने गुरु श्री केशर नाथजी महाराज की आँखों के सामने ही आत्मदीप प्रदीप्त हो कर सहसा वि.स. 2015, माघ सुदी 8 को बुझ गया ।
आपकी समाधि रेवत गाँव में श्री जलन्धर नाथजी के मंदिर के समीप ही है, यहाँ प्रतिवर्ष माघ सुदी 8 को विशाल मेला भरता है, जहाँ दूर दूर से भक्त दर्शन के लिए आते है, आपकी समाधि के दर्शन मात्र से दुख दूर हो जाते है, आपका समाधि स्थल चमत्कारपूर्ण माना जाता है, लोक-विश्वास है कि किसी चौपाये के बीमार पड़ने पर यहाँ मनोती मांगने से वह ठीक हो जाता है ।
आज ही के दिन आपने रेवत गांव में एक भक्त को समत्कार ( पर्चा ) देकर अन धन का भण्डार भर दिया था, श्री अमर नाथजी महाराज सिद्ध हठयोगी थे और अपने वचनामृत से अपने भक्तों के अनेक कष्ट मिटाये
संकलन :-
जोरावत भंवरसिंह भागली
श्री शान्तिनाथजी टाईगर फोर्स संगठन भारत
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