श्री जलंधरनाथजी महाराज के पर्चे_
जालौर नगर से 2 कि. मी. पश्चिम में अति प्राचीन कलशाचल कणीयागिरी तीर्थ पर जलंधरनाथजी पुरातन काल से युगों युगों से तपस्यारत है, यहाँ पर सिरेमन्दिर प्रांगण में जलन्धर नाथजी महाराज की परम् तपस्थली भंवर गुफा अवस्थित है, यहाँ पर तपस्या करते हुए, उन्होंने कई भक्तों को अदभुत चमत्कार देकर उनकी मनोकामनाये पूर्ण की है ।
जलंधरनाथजी महाराज के आशीर्वाद से राजा मानधाता ने यहाँ तपस्या कर चक्रवाती राजा के पद का वर यही प्राप्त किया था, मान्धाता पुराणयुगीन अयोध्या के सूर्यवंशी राजा युवनाश्व के पुत्र थे, उन्होंने लगभग 235 वर्ष राज्य किया था, यही राठौड़ वंश के मूल पुरुष है, अयोध्या के ही सम्राट रोहिताश्व ने भी यही पर तपस्या कर मन वांछित फल पाया था, ये अयोध्या के सूर्यवंशी सत्यवादी सम्राट राजा हरिचंद्र के पुत्र थे ।
नाडोल से आये चौहान राजा कीर्तिपाल को पारसमणी जलंधरनाथजी ने ही दी थी, जोरावतों के पिताश्री जोपसा जी राठौड़ बालवाड़ा के खेत मे स्वयं जलन्धर नाथजी ने हल चलाकर हिरे और मोती निपजाये थे, उसी स्थान पर वर्तमान में सातों गांवों की सीमा पर मुंडेश्वर महादेव जी का मंदिर बना हुआ है ।
इसी प्रकार गोगा देवजी राठौड़ को जलंधरनाथजी ने उनके पिताजी वीरम देवजी के शत्रुओं से बदला लेने के लिए रणथली तलवार प्रदान की थी, एक बार पुनः फिर गोगा देवजी को युद्ध मे दर्शन दिये, युद्ध मे गोगा देवजी का एक पेर कट गया था, उल्टा पाव साधकर जोड़ दिया था, कालान्तर में गोगा देवजी तलीनाथ के नाम से प्रसिद्ध हुए ।
महाराजा मान सिंह राठौड़ जोधपुर को राज्य प्राप्ति का आशीर्वाद जलंधरनाथजी ने ही दिया था, जिसमे उनको जोधपुर राज्य की गद्दी विक्रम सवंत 1860 में प्राप्त हुई थी, इसके अलावा भी जलंधरनाथजी महाराज ने सेकड़ो भक्तों को दर्शन देकर कष्ट निवारण किये ।
सिरमन्दिर नाथ सम्प्रदाय के लिए वंदनीय है, एवं यहाँ के जन जन का श्रद्धा स्थल है, जालौर बड़ा भाग्यशाली है, इस तीर्थ पर पता नही कब से यतिराज श्री जलन्धर नाथजी महाराज अपने अनुपम स्वरूप में सुभोभित है ।
जिस प्रकार भगवान् विष्णु ने कृष्णावतर में, रामावतार में, अथवा अन्य किसी रूप में प्रगट हो कर तीनों लोकों की नित्य रक्षा की, उसी प्रकार श्री जलन्धर नाथजी महाराज भी जालौर के लोगों की रात- दिन रक्षा कर रहे है ।
संग्रहकर्ता :-
जोरावत भंवरसिंह भागली
श्री शान्तिनाथजी टाईगर फोर्स भारत
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