श्री जलन्धरनाथजी पीठ सिरेमंदिर के प्रथम गादीपति श्री श्री 1008 श्री सुआनाथजी महाराज आप राताढूंढा जिला अजमेर राजस्थान में राजा भर्तहरी विचारनाथजी प्रवतिर्त वैराग - पंथ का प्रमुख केंद्र के पिठाधीश्वर श्री श्री 1008 श्री मेघनाथ महाराज जी के शिष्य थे ।
उन्होंने अपने वैरागी जीवन की प्रारंभिक अवस्था में ब्यावर के निकट पीसांगन एक गांव की पहाड़ियों में योग-साधना कर सिद्धि प्राप्त की जहाँ आपकी धूणी विद्यमान है ।
उनके पास हमेशा एक तोता रहता था अतः उनका नाम तोता नाथजी अथवा सुआ नाथजी प्रसिद्ध हो गया और वो इसी नाम से प्रसिद्ध हुए वे तीर्थाटन में ही अपना अधिकांश समय व्यतीत करते थे, उनकी आयु 300 वर्ष की थी ।
जब वो सर्व प्रथम सिरेमंदिर पर पधारें उस समय यहाँ रतनेश्वर महादेव तथा भंवर गुफा में श्री जलन्धर नाथजी की छोटी सी पूजा थी
उन्होंने सन् 1825 में श्रीजलन्धरनाथ पीठ सिरेमंदिर में स्थाई निवास कर अपना धुणा रमाया ओर इस वैराग - पंथ की गादी स्थापित की ।
आपने श्री भवानी नाथजी महाराज को अपना शिष्य बनाया, आपकी समाधी सिरेमंदिर के प्रांगण में है, आपके बाद भवानी नाथजी ने गादी सम्भाली, आगे इस प्रकार है_
श्री श्री 1008 श्री सुआनाथजी महाराज
श्री श्री 1008 श्री भवानीनाथजी महाराज
श्री श्री 1008 श्री भैरू नाथजी महाराज
श्री श्री श्री 1008 श्री फूल नाथजी महाराज
श्री पूर्णनाथजी महाराज
श्री श्री 1008 श्री केशर नाथजी महाराज
श्री श्री 1008 श्री भोला नाथजी महाराज
श्री श्री 1008 श्री शान्ति नाथजी महाराज
वर्तमान श्र्री श्री 1008 श्री गंगा नाथजी महाराज
संग्रहकर्ता :-
भंवरसिंह जोरावत भागली
श्री शान्तिनाथजी टाईगर फोर्स भारत

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