🚩सिरे मंदिर‌ जालोर के सिरमौर पीरजी श्री1008श्री शांतिनाथ जी महाराज की कृपा दृष्टि हमेशा सब पर बनी रहे सा।🚩🌹जय श्री नाथजी महाराज री हुक्म🌹🚩🙏🙏">

चन्द्र कुप

चन्द्रकूप : वर्तमान में इसे ‘ चन्दनकूप ' कहा जाता है , जो ‘ चन्द्रकूप ' का ही अपभ्रंश है । यह कूप श्री रत्नेश्वर महादेव के ठीक सामने प्रांगण में आया हुआ है । इसे ऊपर से संगमरमर द्वारा गोलाकार ( परिधि 28 ' 8 ' ' ) मढ कर तथा ढक्कन लगाकर सुरक्षित कर दिया गया है । इस पर यह छोटा - सा शिलालेख लगा है – | पंक्ति 1 . श्री जलन्धरनाथजी सहाय छै । 2 . संवत् 2055 रा जेठ सुदी 15 को ‘ चन्दन कूप ' का जीर्णोद्वार श्री | 1008 3 . श्री श्री शांतिनाथजी महाराज द्वारा करवाया गया
श्रीजलंधरनाथ द्वारा प्रतिष्ठापित इस चन्द्रशूप के सम्बन्ध में अज्ञात रचनाकार लिखता है - जगदुपकृतये ऽशात्तिष्ठ तीर्थोत्तमंस्त्वं , विधुरिति कनकाद्रौ यन्नियुक्तों बुरूपः । । अभवदमृतमल्यो नामतश्चंद्रकूपः , पुनरिमगवत्वां नाथजालंधरः सः । । 8 । । । अर्थात् ‘ संसार के उपकार के लिए श्रेष्ठ तीर्थों के अंशों सति तुम यहाँ निवास करो ' - इस प्रकार श्रीजलंधरनाथ ने कहते हुए चन्द्रमा को जल रूप में कनकाचल पर प्रतिष्ठित किया । तब से ( वहाँ पर ) चन्द्रकूप नाम का अमृत तुल्य कूप हुआ । ( ऐसे वे ) श्री जलधरनाथ इस ( चन्द्रकूप ) की तथा आपकी रक्षा करें । । 8 । । । इसक , जल अत्यन्त निर्मल , हरी झांई वाला तथा धृत का - सा स्वाद लिए है । इसे सामान्यत : स्वास्थ्य हितकारी और विशेषतः उदर - रोग - नाशक माना जाता है । मन्दिर में पूजाभिषेक के लिए यही जल प्रयोग में लिया जाता है । नाथ - भक्त कवियों ने त्रिताप - हरणकर्ता चन्द्रकूप की महिमा का गान करते हुए लिखा है सदा समजलं तत्र कपालीतीर्थमद्भुतं । चंद्रपाहूवयं तीर्थं साक्षान्निर्नाणदायकम् । । 5 । । अर्थात वहाँ अदभूत कपाली तीर्थ हैं , ( तथा वहीं ) चंद्रकूप नामक सम जल - स्तर वाला तीर्थ भी है , जो साक्षात् मोक्ष प्रदान करने वाला है । । 5 । । । इसके लिए एक अन्य भक्त कवि के उद्गार भी द्रष्टव्य हैं - जा निकट कूप अचाल निर्मल अमृत जल चित लोभहीं । वनि लार कुसुमित झिलत सन्मुख भरि केसुर सोभही । । धर कलित नलयज अगर केसर धूप धरमल विस्तरं । । निज सर्न जन सूख करन श्रीमति जयति नाथजलंधरम् । । ४ । ।