🚩सिरे मंदिर‌ जालोर के सिरमौर पीरजी श्री1008श्री शांतिनाथ जी महाराज की कृपा दृष्टि हमेशा सब पर बनी रहे सा।🚩🌹जय श्री नाथजी महाराज री हुक्म🌹🚩🙏🙏">

सुर्य कुंड

चन्द्रकूप के साथ-साथ योगीराज श्रीजलंधरनाथ द्वारा प्रतिष्टापित सूर्यकुण्ड का
_ की प्राचीन नाथ-साम्प्रदायिक ग्रंन्थों में श्रद्धा-सहित स्मरण किया गया है
इस समय सूर्यकुण्ड की सही स्थिति तथा स्वरूप के संबंध में ऊहापोह बना
हुआ है । वर्तमान पीठाधीश्वर श्री शान्तिनाथजी के अनुसार यह “शारदा कुडाल'
_ के निकट था। शारदा कुंडाल नामक स्थान सिरे मन्दिर से दूर है; अतः सूर्यकुण्ड
के वहाँ होने की संभावना नहीं बनती ।
_.... कारण यह है कि चंद्रकूप एवं सूर्यकुण्ड का वर्णन सर्वत्र साथ-साथ मिलता है।
 सिरे मन्दिर कोई काल उटै जोगाभ्यास कर कलसाचल रै मध्य भाग में विराजता हुआ सो स्थान दूसरी हुवौ । चंद्रकूप सूरजकुंड कपाली आसन समेत औ स्थान प्रसिद्ध हैं । " अतः सूर्य कुण्ड चंद्रकूप के निकट ही होना चाहिये । मेरी दृष्टि से सिरे मंदिर के पूर्वी द्वार के पास , रत्नेश्वर महादेव के पृष्ठ भाग में , मंदिर परिसर में अया ‘ झालरा ' ही सूर्य कुण्ड है । यह झालरा चंद्रकूप के अति निकट है । मानसरोवर , गत वापिका आदि के निर्माण - सूचक विवरण उपलब्ध हैं , पर इसके नहीं पूर्वाभिमुख निर्माणों का नामकरण सूर्यवाची होने की हमारे यहाँ परम्परा रहीं है यथा - सूज पोल आदि । अतः मेरी दृष्टि में यह ‘ झालरा ' ही ‘ सूर्यकुण्ड़े हैं । इसकी प्रबल संभावना बनती है