🚩सिरे मंदिर‌ जालोर के सिरमौर पीरजी श्री1008श्री शांतिनाथ जी महाराज की कृपा दृष्टि हमेशा सब पर बनी रहे सा।🚩🌹जय श्री नाथजी महाराज री हुक्म🌹🚩🙏🙏">

10 . मीणा जालप

10 . मीणा जालप : । भाट नैनसुख ‘ परवां री विगत ' लिखाते हुए कहता है कि ‘ श्रीनाथजी मीणा जालप को मिले ( दर्शन दिये ) । तब उसने जालोर बसाई । पीछे ( किसी समय ) उसने गौहत्या की ; तब ( नाथजी का ) कोप हुआ , जिससे उसकी देह बिगड़ गई और सं . 1246 की साल में राज्य जाता रहा । जालोर का एक नाम ‘ जालप ' नगरी भी रहा है , जैसा कि ‘ श्री नाथतीर्थावली स्तोत्र ' में लिखा है - ‘ उस पर्वत ( कनकाचल ) की तलहटी में ‘ जालप ' नाम की अति विस्तृत नगरी हैं । । 12 । । रही बात जालप के हाथ से सं . 1246 के वर्ष में राज्य जाने की बात , तो इस समय जालोर पर कीर्तिपाल के पुत्र समरसिंह का राज्य था । मैंने इस पृष्ठ की पाद - टिप्पणी में जला मीणा द्वारा सं . 900 में जो जालोर की स्थापना का संदर्भ दिया है , वह भी केवल कल्पना ही है । जालोर जिसका इतर नाम जाबालिपुर रहा है , वि . सं . 835 में भी समृद्ध नगर था , जब यहाँ उद्योतनसुरि ने वत्सराज नामक प्रतिहार - नरेश के समय में ‘ कुवलयमाला ' की रचना की । सेवग दौलतराम ने ‘ जलन्धर गुण रूपक ' में ' मैणा जालप नै वर दै जालोर वसाई सौ वर्णन ' प्रस्तुत किया है । इसकी पृष्ठभूमि के रूप में उसने ‘ श्रीनाथजी कुलसगिरवासौ वर्णन ' भी किया है । वह लिखता है कि जिस समय श्रीनाथजी इधर पधारे , उस समय शहर नहीं था और न ही नरेश । सूना देश देखकर मीणा डाके  डालते थे ।