जिनके चरण - कमलों की सेवा से चाण्डालिनी और यवन - राज मुक्ति को प्राप्त हुए तथा जिनके पाद - पद्मों की सेवा से रोहिताश्व को भी योगिजनों द्वारा सतत प्राप्त होने वाली गति मिली - ( श्री जलंधरनाथजी के ऐसे चरण - कमलों का आप ध्यान करें ) । । 2 । । । । यहाँ उल्लिखित चाण्डालिनी के सम्बन्ध में कुछ भी ज्ञात नहीं होता । इसी प्रकार यवनराज सम्बन्धी सामग्री - संकेत भी नहीं मिलते । म , मानसिंह ‘ नाथचरित्र ' में ‘ जवनेश्वर प्रसंग ' अवश्य दिया है ; परन्तु यह काबुल के यवनराज और योगी रतननाथ से सम्बन्धित है । रोहिताश्व सुविख्यात इक्ष्वाकुवंशीय राजा हुआ । यह हरिश्चंद्र का पुत्र था इसके द्वारा योगसिद्धि प्राप्त करने का एक उल्लेख मिलता है - ‘ रोईदास कवर राजा हरचंद का पुत्र जोगेसर हुआ काले दुगर उड़द कपाली आसन किया चोरसी पटन आधी मारी धधमार चकवे बुलाया ।