मानसिंह ने यहाँ ‘ मंदर रो कोट वडो दलीचीयां हवेलीयां अंबखास री मैहल बोलतखांना घोसाळो साळा चौतरफ कोठार राजभोग पधरावण रो भकार कज ( कुंज ) गलीयारा साळा दुकानां अखाडा रीसाळा धुणी रो बंगलो सिरा री पोळ वाग रो कोट ने इम्रत वाव वगेरे निर्मित कराये । । पीठाधीश्वर और अन्य लोग तो यहाँ निवासार्थ बने भवनों में रहते ही थे , म . मानसिंह स्वयं तथा राज - परिवार के अन्य सदस्य भी यहाँ दर्शनार्थ आते थे और ठहरते थे । यह भव्य महल भंवर - गुफा के ठीक सामने मंदिर परिसर के पूर्वी भाग में कुछ दूरी पर बना है । इसका दक्षिणी पाश्र्व रत्नेश्वर महादेव के प्रागंण से सटा हुआ है । | इस विशाल महल में तीन मंजिलें हैं और अनेक कक्षों से संयुक्त यह राजभवन सुख - सुविधाओं से पूर्ण है । | इसके नीचे एक भूमि - गृह ( भकार ) भी है । इसमें अनेक कमरे हैं और आवागमन के गलियारे एक समान । पहले , प्रकाश के अभाव में लोग इसके भीतर प्रवेश करने के पश्चात् गलियारों की एकरूपता के कारण बाहर निकलने का मार्ग भूल जाते थे । इस कारण इसे ‘ भूलभुलैया ' भी कहते हैं । अब इसमें विद्युत प्रकाश की व्यवस्था कर दी गई है ।