अमृत वापिका : | यह ‘ सुवापि सुखद सुरंग ' ' इस मंदिर परिसर के दक्षिण - पश्चिमी भाग में आई । हुइ है इसमे पर्याप्त निर्मल जल उपलब्ध है ।जो वातीका के सिन्चन तथा यात्रियों के प्रयोग्र्त्थ मे काम मे लिए जाता हैं ।इसेशिलालेखम मे इम्रत वाव कहा गया है ।ओत मानसिन ने बनाई थी ।