झालरा ( सूर्य कुण्ड ) : मंदिर के पूर्व दिशा द्वार के समीप एवं रत्नेश्वर महादेव के पृष्ठ - भाग से सटा हुआ जल से सदैव परिपूर्ण यह झालरा वर्गाकृति ( 33 ' x 55 ' ) में निर्मित है । इसकी गहराई अनुमानतः 27 ' बताई जाती है । इसकी पश्चिमी दीवार की ओर दोनों कोनों में नीचे उतरने की सीढ़ियाँ हैं । वर्षा ऋतु में यह छिलाछिल भरा झालरा अति मनोहर शोभा धारण कर लेता है और यात्री इसमें जल - क्रीड़ाएँ कर आनंदित होते हैं । | मेरे अनुमानानुसार यही सूर्य - कुण्ड है । सूर्य - कुण्ड वर्णन में पहले मैं ऐसी संभावना प्रकट कर चुका हूँ ।