भवर गुफा ग्रागंग में ही समाधियों के उत्तरप्चम में 13 15 का. .
पूर्वाभिमुख द्वार का एक बड़ा कमरा है। इसके बीच में 128” के घेरे में यह
अखण्ड धूणा अवस्थित है। पहिले यह ध्रणा खुले में ही था, जिसके वर्षा इत्यादि से
बचाव हेतु यह पक्का कमरा बनवा दिया गया है ं
इस पर यह सूचना-प्रदायक शिला-पट्ट लगा है --
ऊँ श्री गोरखनाथाय नम:
1: मेदानी धुणा श्री सुआनाथजी महाराज ने सं. 1725 में स्थापित किया।
2. श्रीभवानीनाथजी के के शिष्य. श्री भेखंनाथजी महाराज द्वारा सं. 1931 में
धुणे पर केलुओं का मकान बनाया।
3. फ़ुलनाथनी महारान के समयधुने का मकान गिरने से धुणा लुप्त हो गया ।
4 श्री पुरन नाथजी महाराज महाराज के शिष्य श्रीकेसरनाथजी महाराज ने लोहे के हीने ही
वाले धुणे का
मकान पुनः निर्माण सं. 2003 में करवाया एवं :
के शिष्य श्री 6. भोलानाथजी के गुरुभाई श्रीशांतिनाथजी ने संवत 2030 में धुणे का मकान
गिर जाने से
7. धुणे पर पक्का मकान एवं टीन वाला भंडार संवत 2032 में पोष सुद 8
में पूरा किया।
इसके भीतर पश्चिमी दीवार के एक आले में हिंगलाज माता की एक सुन्दर
संगमरमर की मूर्ति है।
पूर्वाभिमुख द्वार का एक बड़ा कमरा है। इसके बीच में 128” के घेरे में यह
अखण्ड धूणा अवस्थित है। पहिले यह ध्रणा खुले में ही था, जिसके वर्षा इत्यादि से
बचाव हेतु यह पक्का कमरा बनवा दिया गया है ं
इस पर यह सूचना-प्रदायक शिला-पट्ट लगा है --
ऊँ श्री गोरखनाथाय नम:
1: मेदानी धुणा श्री सुआनाथजी महाराज ने सं. 1725 में स्थापित किया।
2. श्रीभवानीनाथजी के के शिष्य. श्री भेखंनाथजी महाराज द्वारा सं. 1931 में
धुणे पर केलुओं का मकान बनाया।
3. फ़ुलनाथनी महारान के समयधुने का मकान गिरने से धुणा लुप्त हो गया ।
4 श्री पुरन नाथजी महाराज महाराज के शिष्य श्रीकेसरनाथजी महाराज ने लोहे के हीने ही
वाले धुणे का
मकान पुनः निर्माण सं. 2003 में करवाया एवं :
के शिष्य श्री 6. भोलानाथजी के गुरुभाई श्रीशांतिनाथजी ने संवत 2030 में धुणे का मकान
गिर जाने से
7. धुणे पर पक्का मकान एवं टीन वाला भंडार संवत 2032 में पोष सुद 8
में पूरा किया।
इसके भीतर पश्चिमी दीवार के एक आले में हिंगलाज माता की एक सुन्दर
संगमरमर की मूर्ति है।