🚩सिरे मंदिर‌ जालोर के सिरमौर पीरजी श्री1008श्री शांतिनाथ जी महाराज की कृपा दृष्टि हमेशा सब पर बनी रहे सा।🚩🌹जय श्री नाथजी महाराज री हुक्म🌹🚩🙏🙏">

23 . मलीनाथ

23 . मलीनाथ :
म . मानसिंह ने ‘ जलंधर चंद्रोदय ' में त्रिभुवन - तिलक श्रीजलंधरनाथ की रावल मलीनाथ पर हुई कृपा का भी श्रद्धा - सहित उल्लेख किया है ।
उनकी रानी का नाम ‘ रुपादे ' था , जो नाथ - भक्ति का धाम थी ।
रानी के आग्रह - स्वरूप ही वे नाथ - मार्ग में अग्रसित हो , श्रीजलंधरनाथ को पा सके ।
रानी ने उन्हें शक्ति - पंथ का अनुयायी बनाया । श्रीजलंधरनाथ ने मलीनाथ को सदेह अमर कर दिया -
रावल मलीनाथ का जन्म वि . सं . 1395 के आसपास हुआ ' एवं वि . सं . 1431 ( ई . सन् 1374 ) के अंत में अपने पिता राव सलखा की मृत्यु पर ये खेड़ की गद्दी पर आसीन हुए । ।
इनके गुरु का नाम योगी रतननाथ था ,
जिसने इन्हें माला पहिना कर अपना शिष्य बनाया ,
मल्लीनाथ नाम दिया तथा रावल की उपाधि दी अपनी रानी रूपादे के अनुरोध पर ये तत्पश्चात् शाक्त - मत के ‘ दसा पंथ ' में सम्मिलित हो गये
, जो वाम - मार्गी था और उसी की मान्यतानुसार इन्होंने सं .
1456 में समाधि लेकर देहत्याग किया ।
लोक - मानस इनको सिद्ध और पीर मानकर आज भी पूजा करता है ।
इनका मंदिर तलवाड़ा ( जिला बाड़मेर , राज . ) के निकट है ,
जहाँ प्रति वर्ष चैत्र मास में इनके नाम पर विशाल मेला भरता है । इ
नके नाम पर ही महेवा प्रदेश ‘ मालानी ' ( माला की भूमि ) कहलाता है ।
‘ देवतावां री साळ ' ( मण्डोर , जोधपुर ) में इनकी विशाल मूर्ति बनी हुई है और महामन्दिर , जोधपुर की परिक्रमा में इनका सुंदर भित्ति - चित्र सुशोभित है । |
अपनी कृति ‘ नाथचरित्र ' में म . मानसिंह ने तथा नाथ - भक्त - कवि सबळा लाळस ने अपनी ‘ निसांणी ' में इनका सादर स्मरण किया है ।

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