42 . भाखरसी राठौड : । । करीब दो सौ वर्ष पूर्व गाँव घाणसा ( जिला जालोर ) में भाखरसी राठौड़ नामक नाथजी के भक्त हुए । प्रति सोमवार सिरे मंदिर जाकर श्रीनाथजी के दर्शन करना । उनका नियम था । । एक समय वे खेत में हल जोतने में ऐसे मग्न हुए कि उन्हें ध्यान ही नहीं । रहा कि आज सोमवार है और सिरे मंदिर जाना है । जब घर से भाता ' आया , तो यह सब उन्हें याद आया । वे अत्यन्त पश्चाताप करते - करते सिरे मंदिर के लिए । रवाना हुए । भक्त की ऐसी व्याकुलता देखकर नाथजी ने धाणसा और सेरणा गाँव के बीच बालक - रूप में भाखरसी राठौड़ को दर्शन दिये और कहा कि ' यह खेजड़ी की छड़ी लो और इधर गाड़ दो । इसके नीचे शिवलिंग , पार्वती तथा गणेशजी की मूर्तियां मिलेंगी । साथ में पत्थर की कुंडी भी निकलेगी , जो भोजन देगी । तुम मत खाना । अबूट भंडार रहेगा । तुम्हारे लिए अब मैं इसी स्थान पर सदैव रहूँगा । ' ' । सात दिन बाद खेजड़ी की छड़ी को देखा , तो उसमें कैंपल फुट रहे थे । यह चमत्कार देखकर पास ही खुदाई की गई , तो मूर्तियाँ तथा कुंडी निकली । फिर तो । हर सोमवार वहाँ मेला - सा लगने लगा । एक बार भक्त भाखरसी ने काबा - पट्टी के अपने सभी बंधुओं को भोजन करवाया । भूल से स्वयं भी उसमें सम्मिलित हो गये । ऋद्धि - सिद्धि का वह । कूडी - भंडार उसी दिन समाप्त हो गया । आज भी इस स्थान पर होली के दूसरे दिन वार्षिक मेला भरता है । इसमें । बड़ी तादाद में नाथजी के भक्त एकत्रित होते हैं ।
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