#हार्दिक_अभिनंदन
#इतिहास :- जोरजी के वंशज जोरा भगराज के कुल में ग्राम भागली में शुरवीर जुंझार जालमसिंहजी हुए जिनका इतिहास बडा लोम हर्षक और प्रेरणादायी है।इसी को ध्यान मे रखते हुए समस्त जोरावत परिवार भागली बागरा सलोदरिया एंव आकोली के सहयोग से
तारिख 11/07/2019 को नवनिर्माण मंदिर मे मुर्ति स्थापना प्राण प्रतिष्ठा है।आप समस्त सादर आमंत्रित है।अपना अमुल्य समय निकाल कर मंदिर के प्रागण की शोभा बढावे।
#संवत् 1551 चैत्र शुल्क 9 शुक्रवार का दिन था दुल्हेराजा जालमसिंहजी शादी करके नई नवेली दुल्हन होसी कंवर को लेकर बारात के साथ भागली आये ही थे दो दिन पहले ही गाजे बाजे के साथ बारात चढी थी बिन्द बने थे घर म् विवाह का जलसा उत्सव का माहोल था बारात कुम्भसिंह जी पुत्र कानसिंहजी दहिया ठिकाना सायला से विवाह हुआ हर्षोल्लास के साथ कुम्भसिंह ने दुहिता को भागली के लिए विदा कर दिया।
#बारात भागली पहुची ढोल धमाके के साथ सामेला कर कंकड डोर भी नही खेले थे सिरमोर बंदा ही था ओजण अभी बाकी था तभी गांव मे मैंर मेणो द्वारा गांव की गायो को चुरा ले जाने का कारिया (हांका) फुटा गाव मे हडकंप मच गई चेतावनी का ढोल बजा नये दुल्हेराजा जालमसिंहजी को मेणो की यह गुस्ताखी नागवार लगी
#गौ_रक्षक और दरियादिल दयालु जालमसिंहजी से रहां नही गया विवाह कि रस्म को धत्ता बताकर सुहागरात के सपनों को ठुकराकर तलवार हाथ मे लेकर घोडे पर सवार होकर मेणो का पीछा करने निकल पडे भागली धानपुर मार्ग के बीच मेणो से भंयकर लडाई लडी तीन सो मेणो को मार के गायो को वापस घेर ली लेकिन लुह लुहआन होकर के इसी मार्ग पर गांव के बहार गुंदी के पेड के नीचे वीर गती को प्राप्त हुए।
#गाया आई पर ग्वाला गया #धन आया पर धणी गया
#पुरे गाव के उपर से एसे शुरवीर का छाया उठ गया पुरे गांव मे शोक छा गया दुल्हन के सिन्दुरी सपने टुट गए और अरमान रुठ गये।सिन्दुर उजड गया पर जस रह गया क्षत्रियोचित आदर्श का निर्वाह करते हुए अपना जीवन जोरावत कुल का गौरव बढाया रानी होसी कंवर ने अग्नि स्नान किया और शौर्य त्याग एंव बलिदान का आदर्श प्रस्तुत किया
आज वो जुंझार जालमसिंहजी के नाम से जाने जाते है और पुजे जाते है।
*जबरो जुंझार जोरो जालमसी*
*चवरी चेडा चिरिया चढिया गाया री वार*
*गाया पाछी घेरी ली दिया मेणो ने मार*
पनर सो एकावने चेतर सुदनम वे शुक्रवार ग्राम भागली मायने जालमसिंहजी हुआ जुंझार पुजे कुल जोरावतां परचारो चै नही पार घणी घणी। खम्मा जुंझारजी जाणिज्या। गुंदीवाला। जुंझार
#इतिहास :- जोरजी के वंशज जोरा भगराज के कुल में ग्राम भागली में शुरवीर जुंझार जालमसिंहजी हुए जिनका इतिहास बडा लोम हर्षक और प्रेरणादायी है।इसी को ध्यान मे रखते हुए समस्त जोरावत परिवार भागली बागरा सलोदरिया एंव आकोली के सहयोग से
तारिख 11/07/2019 को नवनिर्माण मंदिर मे मुर्ति स्थापना प्राण प्रतिष्ठा है।आप समस्त सादर आमंत्रित है।अपना अमुल्य समय निकाल कर मंदिर के प्रागण की शोभा बढावे।
#संवत् 1551 चैत्र शुल्क 9 शुक्रवार का दिन था दुल्हेराजा जालमसिंहजी शादी करके नई नवेली दुल्हन होसी कंवर को लेकर बारात के साथ भागली आये ही थे दो दिन पहले ही गाजे बाजे के साथ बारात चढी थी बिन्द बने थे घर म् विवाह का जलसा उत्सव का माहोल था बारात कुम्भसिंह जी पुत्र कानसिंहजी दहिया ठिकाना सायला से विवाह हुआ हर्षोल्लास के साथ कुम्भसिंह ने दुहिता को भागली के लिए विदा कर दिया।
#बारात भागली पहुची ढोल धमाके के साथ सामेला कर कंकड डोर भी नही खेले थे सिरमोर बंदा ही था ओजण अभी बाकी था तभी गांव मे मैंर मेणो द्वारा गांव की गायो को चुरा ले जाने का कारिया (हांका) फुटा गाव मे हडकंप मच गई चेतावनी का ढोल बजा नये दुल्हेराजा जालमसिंहजी को मेणो की यह गुस्ताखी नागवार लगी
#गौ_रक्षक और दरियादिल दयालु जालमसिंहजी से रहां नही गया विवाह कि रस्म को धत्ता बताकर सुहागरात के सपनों को ठुकराकर तलवार हाथ मे लेकर घोडे पर सवार होकर मेणो का पीछा करने निकल पडे भागली धानपुर मार्ग के बीच मेणो से भंयकर लडाई लडी तीन सो मेणो को मार के गायो को वापस घेर ली लेकिन लुह लुहआन होकर के इसी मार्ग पर गांव के बहार गुंदी के पेड के नीचे वीर गती को प्राप्त हुए।
#गाया आई पर ग्वाला गया #धन आया पर धणी गया
#पुरे गाव के उपर से एसे शुरवीर का छाया उठ गया पुरे गांव मे शोक छा गया दुल्हन के सिन्दुरी सपने टुट गए और अरमान रुठ गये।सिन्दुर उजड गया पर जस रह गया क्षत्रियोचित आदर्श का निर्वाह करते हुए अपना जीवन जोरावत कुल का गौरव बढाया रानी होसी कंवर ने अग्नि स्नान किया और शौर्य त्याग एंव बलिदान का आदर्श प्रस्तुत किया
आज वो जुंझार जालमसिंहजी के नाम से जाने जाते है और पुजे जाते है।
*जबरो जुंझार जोरो जालमसी*
*चवरी चेडा चिरिया चढिया गाया री वार*
*गाया पाछी घेरी ली दिया मेणो ने मार*
पनर सो एकावने चेतर सुदनम वे शुक्रवार ग्राम भागली मायने जालमसिंहजी हुआ जुंझार पुजे कुल जोरावतां परचारो चै नही पार घणी घणी। खम्मा जुंझारजी जाणिज्या। गुंदीवाला। जुंझार