ॐ अलख आदेश ॐ आज दिनांक - 18 . 12 . 2018 नाथ योगी सम्प्रदाय में 18 - 12 का बहुत महत्व है . नाथ सम्प्रदाय के दर्शनीयोगी (कुंडलधारी) भेष बारह पंथ मे 18 . 12 से पहचान होती है . बाद मे पंथ . भेष बारह पंथ मे 18 के महन्त जी और 12 के महन्त जी का अलग अलग चयन होता है . जो भेष बारह पंथ का सुचारू रूप से संचालन करते है . । 18 और 12 का भेद :- श्रुतिअनुसार आदिकाल मै आदिनाथ शिवजी द्वारा 18 पंथों कि स्थापना कि गई थी . और गुरू गोरक्षनाथ जी द्वारा 12 पंथो की स्थापना की गई थी . आदिकाल मे महाकुम्भ पर्व के उपलक्ष में योगीयों में संख्याबल के कारण विवाद उत्पन्न हो गया था . इस संख्याबल के विवाद को समाप्त करने के लिऐ गुरू गोरक्षनाथ जी ने 18 . 12 के योगीयों की एक संयुक्त सभा का आयोजन किया . सभी योगी सभा स्थल पर एकत्रित हुऐ . सभी सभा मंडप मे विराजमान थे . अन्त मे कुछ समय पश्चात गुरू गोरक्षनाथजी महाराज पधारे . उस समय कुछ योगीजन गुरूजी के सम्मान मे खडे होकर अभिवादन किया और कुछ योगी बैठे ही रहे . तब गोरक्षनाथ जी ने फरमाया '' उबा जोगी गोरख का . और बैठा जोगी शिव का '' बाद में इनका आंकलन किया तो छ: योगी खडे थे और छ: योगी बैठै थे । तब से ही यह परम्परा चली आ रही है । वृतमान मे बारह पंथ क्रम इस प्रकार है :- १. सत्यनाथी . २. रामनाथी . ३. धर्मनाथी . ४. पावपंथी . ५. पागळपंथी . ६. रावळपंथी . ७. कपलानी पंथी . ८. गंगानाथी पंथी . ९. दर्यानाथी ''नाटेश्वरीपंथी'' . १0. आईपंथी . ११. बैरागपंथी . १२. मन्नाथी पंथी . । बाद मे छ: उप पंथों का और उद्भव हुआ . जो कि दासपंथी . ध्वजपंथी . भडंगपंथी . पंखपंथी आदी का पूर्ण और कभी . इन 12 पंथों के अलग अलग प्रवृतक है . अलग अलग ही मुख्य पीठ स्थान (आसण) है . .। यह सब जानकारीयां अगले सत्र में . किसी सज्जन के पास अन्य प्रमाणित जानकारी उपल्बध हो तो अवश्य लिखें . गलती के लिऐ क्षमा करें . जय भेष भगवान . बारह पंथ . नवनाथ . चौरासी सिद्ध . अटल क्षैत्र . अलख निरंजन निराकार . श्री गुरू गोरक्षनाथ जी महाराज की जय . आदेश आदेश ॥ आपका एक अल्पज्ञानी :- योगी मदननाथ भाटी . नारेली अजमेर . सम्पर्क सूत्र:- ६३६७१११२१४ ॥॥॥
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