🚩सिरे मंदिर‌ जालोर के सिरमौर पीरजी श्री1008श्री शांतिनाथ जी महाराज की कृपा दृष्टि हमेशा सब पर बनी रहे सा।🚩🌹जय श्री नाथजी महाराज री हुक्म🌹🚩🙏🙏">

श्री 1008 श्री धनाभारतीजी महाराज देवकी का *******सम्पूर्ण जीवन परिचय**

श्री 1008 श्री धनाभारतीजी महाराज देवकी का *******सम्पूर्ण जीवन परिचय********
श्री धनाभारतीजी महाराज रा जन्म आज से तकरीबन 84 वर्ष पूर्व वैसाख महीनै की चाँनणी सवदस को जालोर  जिले के #देवकी गाँव के गोस्वामी कुल मे श्री खीमाभारतीजी की धर्म पत्नी समदादेवी की कोक से हुआ था।

वे चार बहन भाई थे,अपने अनुज सोरम भारती जी (अब मिठडी मेहन्त है) का बहुत लाड प्यार करते थे,
माता पिता का अपार स्नेह मिलने से बचपन से ही उऩके मन मे प्रेम भावना घर करगई,साथीयो संग खेलते हुये भी ये सदी ही अपनी धून मे उनमुन रहते थे,

आपके मन मे भक्ति का अंकूर पूर्व जन्मो के सुग्रत कर्मो के कारण ईन के मामाजी श्री हेमनाथजी महाराज के सानिघ्य से हुआ,आप को ग्यात होवे की ये हेमनाथजी वही महापुरुष है जिन्हो ने अन गिनत चेतावणी वाणी भजनो की रचना की थी।

श्री धनाभारतीजी महाराज को शूर सरोदो का बोहत ही अध्भूत ग्यान था,वे प्रतियेक कार्य शूर सरोदे के हिसाब से ही प्रारम्भ करते थे,आपका विवाह बीस वर्ष की ऊँंमर मे ही गाँव "काठाडी, मे गोस्वामी नेनवनजी की सुपुत्री सोतीदेवी के संग हुआ था,

आप की ग्रस्तीजीवन बगीया मे छ: फूल खिले, जिनमै तीन पुत्र:- (जोगभारती,नारायणभरती,पूर्ण भारती)
वह तीन पुत्रियाँ है ! वो केसीट का जमाना था, उन दिनो लोग भजन भव भूल से गये थे, फिल्मी गीतो की चारो तरफ भरमार थी,

ऐसे समय मे ईन्हो ने भजन गाने शुरु किये थे,कुछ ही दिनो मे आपकी मधुर आवाज मे गाये भजन मारवाड मे चारु मेर गूँजने लगे थे,आप के जैसी ओरथावणी करना अन्य भजनीयो के बस की बात नही थी,उन दिनो उनके समय मे वाणी भजनो के ग्याता श्रीमान रामनिवाशजी राव ही एकमात्र भजनी थे जिनका वे बहोत आदर करते थे।

आपने कई भूले हुये भजनो मे अपनी मधुर आवाज व ओरथावणी की अनोखी कला से उन मृतसमान भजनो मे जान डाल कर सदा सदा के लिये अमर बनादिया,
आपने अपनी विशेष शेली मे गाये कुछ मधुर भजन कथा वार्ता ऐ  निंन प्रकार है,

"ओबरस,, " कमेरारिषी वार्ता,, 
"रुपाँदे रावळमाल वार्ता,,
"जैसल रावळ मिलन वार्ता,,
"पाअण्डवो का माहेरा,,  वीरकंथा,,
"शिव विवाह,, "बीजपुराण,,
"भस्मासुर वार्ता,, आगम पुराण,,
कनीपाल चेला,, मेघडी पुराण,
हरजीभाटी रामदेवजी की वार्ता,
रामदेवजी विवाह वार्ता,, 
राजा हरीतन्द तारामती वार्ता,,
परा,पसन्ती,मदावा,वेकरी, तेतावणी भजन, गुरु महिमा भजन, हरजस. अन गिनत भजनो को अपनी वाणी मे सदा सदा के लिये अमर करदिया,

और यही शिक्षा उन्होने अपने जेष्टपुत्र जोगभारती व छोटे पुत्र पूर्णभारती को दी,पिताश्री के बताये पथ पर चलते हुये ईन दोनो भाइयो ने समस्त राजस्थान मे नाम कमाया है! आपने तारीख 20-12-2004 मे अपनी माताजी समदादेवी का जीवत भण्डारा किया था, उस भण्डारे का वर्णन करना मेरी लेखणी के बस की बात नही है,

भण्डारे मे आये मेहमान व साधु सन्तो की ईतनी तादात मैने सिरे मिन्दर पीरजी के भण्डारे के अलावा कहीं नही देखी ! उस सुमुहरत मे श्री धनाभारतीजी को जालोर बाडमेर गोडवाड व आबुगढ के मठाधिशो ने ईन्हे सिंहासन पर बिराजमान कर के चादर ओझा कर मेहन्त की पदवी से अलंक्रित किया था,

आपने अपने कर कमलो से सर्व ग्राम वासीयो की सहमती से अपने अनुज श्री सोरमभारतीजी को मिठडी महन्त की गादी पर विराजीत किया,आपने अपने जीवन काल मे दो स्खर बन्ध मिन्दरो का नीर्माण करवाया,

जिनमै मुख्य है,श्री लक्षमणनाथजी की धूणी बिरामी मे श्री रामेश्वर महीदेव मन्दिर,देवकी गाँव मे श्रीझारखण्ड बैध्यनाथ महादेव, वे अपने वाणी भजनो के माध्यम ले आज के कई कलाकारो के मार्ग दर्शक बने,,

आपने अपने जीवन के अन्तिमशणो मे ये भजन "" बडी दूर सु आयो तेरी गाडोली री वार,,गाडी मे बिठादो बाबा जाणो है नगर अंजार !! यू गुन गुनाते हुये ळिव मे समागये,,

संवत 2078 फागुणवदी चौथ ने शुक्रवार की साय गौधुलिक की सुमधुर वेळा मे !! आप के अन्तिम दर्शन को हजारो की तादात मे साधु सन्त मठाधीश पिठाधीश भक्त भावीक पधार कर ईन्हो भवभिंनी श्रध्दाजली दीनी !!

आप कि पार्थिक देह को समाधी मे बिराजीत कराया, परिवीरीक सदस्यो के अलावा श्री रणछोडभारतीजी लेटा मेहन्त,श्री प्रेमनाथजी सिरेमिन्दर,
"कुछावाडा मेहन्त श्रीजगदिशभारतीजी
माडवला मेहन्त श्री लालभारतीजी
मुँण्डेश्वर मेहन्त श्री शंभुभारतीजी
शुरेश्वर मेहन्त श्री पर्वतगीरीजी
 
मिठडी मेहन्त सोरमभारतीजी व अन्य सन्त महात्माओ ऩे !!

जबतक सुरज चाँद रेवेला
तब तक ईण देवकी रे लाल रो नाम अमर रहेला !!
🙏🙏

लेखक- जोरावरसिंह राजपुरोहित ठिकाणा अर्थण्डी शासन

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