🚩सिरे मंदिर‌ जालोर के सिरमौर पीरजी श्री1008श्री शांतिनाथ जी महाराज की कृपा दृष्टि हमेशा सब पर बनी रहे सा।🚩🌹जय श्री नाथजी महाराज री हुक्म🌹🚩🙏🙏">

योगी ईश्वर नाथ जी महाराज की कुटुम्ब यात्रा

योगी ईश्वर नाथ जी महाराज की कुटुम्ब यात्रा 

सिरेमन्दिर के पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 श्री गंगा नाथजी महाराज के शिष्य श्री ईश्वर नाथजी महाराज की कुटुंब यात्रा ( भिक्षा ) विक्रम सवंत 2077 माघ कृष्ण पक्ष एकम दिनांक 30 जनवरी 2021 को पैतृक गांव सेरणा में सम्पन्न हुई

योगी ईश्वर नाथजी लगभग 13 वर्ष बाद अपने घर आये, उनके माता पिता एवं समस्त गाँव वालों ने फूल माला पहनाकर ढोल नगारो और मंगल गीत गाते हुए, नाथजी महाराज के जयकारों के साथ भव्य स्वागत किया ओर उनके माता पिता ने उन्हें भिक्षा दी, रात्रि भजन संध्या में संभू भारती ने शानदार भजनों की प्रस्तुति दी, ऒर सुबह महासभा का आयोजन हुआ, योगी ईश्वर नाथजी के दर्शन करने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी पूरा गांव भक्तिमय हो गया 

इस अवसर पर जोधपुर पालासणी से योगी श्री कैलाश नाथजी महाराज, सिरेमन्दिर से श्री गंगा नाथजी महाराज, आशा भारती जी, मगलाई नाथजी, काशी नाथजी, मोहन नाथजी, भोला भारती जी, रेवती नाथजी उदयपुर, प्रेम नाथजी, गोविंद नाथजी, रामेश्वर नाथजी, आनंद नाथजी, शेर नाथजी, गोपाल नाथजी, हरी नाथजी चुरा, मोती नाथजी धानसा एवं समस्त गाँव वालों सहित दूर दूर आये भक्त मौजूद रहे

योगी श्री ईश्वर नाथजी महाराज सिरेमन्दिर पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 श्री गंगा नाथजी महाराज के शिष्य है, जालोर पीरजी ब्रह्मलीन श्री श्री 1008 श्री शान्तिनाथजी महाराज उनके दादा गुरु थे ।

योगी ईश्वर नाथजी महाराज का जन्म गाँव सेरणा जिला जालौर के जेतमल राठौड़ राण सिंह & धुकसिंह जी के घर कार्तिक सूद बीज सोमवार को 10 बजकर 10 मिनिट पर हुआ था, उनके माताजी का नाम सोरम कंवर है, ये कुल चार भाई है, प्रकाश सिंह, गुमान सिंह, नरपत सिंह और विशन सिंह, ईश्वर नाथजी का सांसारिक नाम प्रकाश सिंह था,ये चारों भाइयों में सबसे बड़े है, उनका ननिहाल गांव में ही भंवर सिंह जी सिसोदिया के घर पर है ।

पिता राणसिंह जी पहले से ही शिवजी के परम् भक्त है, एक समय राण सिंह जी अपने कुएँ पर थलाड़ खोद रहे थे, तब वहाँ गोलाकार आकार में उन्हें पांच पत्थर मिले, राण सिंह जी ने उन पत्थरों को भगवान मानकर एक चौकी बनाकर पूजा करने लगे, जिसमे भगवान शिव, पार्वती जी, हनुमान जी, गणेश जी और पीरजी श्री शान्तिनाथजी महाराज प्रमुख थे, जिन्हें वो पूजने लगे, इस समय उनके कुँए पर एक बड़ा मन्दिर बना हुआ है, प्रतिदिन सुबह शाम आरती की जाती है ।

राणसिंह जी ने पुत्र प्राप्ति के लिए पीरजी श्री शान्ति नाथजी महाराज से मन्नत मांगी थी, और कहा की पुत्र होने पर बड़े बेटे को आपकी चरणों में भेंट कर दूँगा, राणसिंह जी मन्नत पूरी हुई, उन्हें नाथजी कृपा से उनको एक के बदले चार पुत्र हुए, तब उन्होंने अपने बड़े बेटे प्रकाश को नाथजी की चरणों में भेंट करने का निर्णय किया ।

पिता श्री राण सिंह जी को सुबह शाम पूजा करते देख प्रकाश सिंह भी बचपन से ही नाथजी की भक्ति में लीन रहने लगे थे, ईश्वर नाथजी ने अपने गाँव सेरणा में ही पाँचवीं कक्षा तक पढाई की फिर बीच मे ही पढाई छोड़ी और कुछ महीनों के लिए देसावर गये, बाद मर दादीसा के मना करने पर वापस देसावर नही भेजा ।

प्रकाश सिंह को ज्येष्ठ सूद पाँचम को सिरेमन्दिर श्री शान्तिनाथजी महाराज के चरणों में भेंट किया था, तब आपकी ऊमर दस वर्ष की थी, उस दिन के बाद से आप नाथजी की भक्ति मे लिन हो गये, और दादा गुरु की सेवा में लग गए, तथा साथ साथ में आपको आगे की पढाई के लिए दादा गुरु श्री शान्तिनाथजी महाराज ने विद्या भारती स्कुल और आदर्श विद्या मंदिर जालौर में 10 वीं तक की पढाई पूरी करवाई ।

आप गुरुजी श्री शान्ति नाथजी महाराज की तन मन से सेवा करने लगे, एक दिन सही समय देखकर श्री शांतिनाथजी महाराज ने अपने शिष्य श्री गंगा नाथजी महाराज से कान फुकवा कर आपको उनका शिष्य बना कर श्री शान्तिनाथजी महाराज दादा गुरु बन गये, और आपका नाम ईश्वरनाथ रखा, कई वर्षो के बाद कानो कुण्डल आपको सन् 2017 में ही धारण करवाकर, पूर्ण नाथ बना कर ईश्वर नाथजी महाराज कहलाये ।

गुरु महाराज :-  
श्री श्री 1008 पीरजी श्री शान्तिनाथजी महाराज
श्री श्री 1008 श्री गंगा नाथजी
गुरु भाई :- 
श्री श्री 108 श्री प्राग नाथजी महाराज
श्री श्री 108 श्री श्याम नाथजी महाराज 
श्री श्री 108 श्री आनंद नाथजी महाराज
श्री श्री 108 श्री शेर नाथजी महाराज

ईश्वर नाथजी महाराज का तप, योग और कार्य शैली में दादा गुरु शान्तिनाथजी नजर आते है, उनके जैसी ही फुर्ती में हमेशा रहते है, ईश्वर नाथजी महाराज के हाथों में हमेशा किसी न किसी रूप में लठ् देखने को मिलता है, इसलिए लोग उन्हें लठठ्धारी योगी भी कहते है ।

संग्रह एवं लेखन :- भंवरसिंह भागली

जय नाथजी री सा

Post a Comment

0 Comments